नैमिषारण्य यात्रा भाग-2

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पिछले भाग से आगे :-

चन्द्रिका देवी मंदिर और हरिवंश बाबा आश्रम अक्षय वट के दर्शन करके मैं अपनी नैमिषारण्य यात्रा पर आगे बढ़ चुका था | सर्द रास्तों और घने कोहरे से होते हुए मैं आगे बढ़ रहा था कि सर्दी में चाय के रुका तो पता चला कई नैमिषारण्य में शायद मंदिर बंद है लेकिन फिर भी मैं और मेरा एक मित्र आगे बढ़ रहे थे और मन ही मन प्रार्थना कर रहे थे कई मंदिर बंद न हो और जब हम दोनों नीमसार (नैमिषारण्य) ओअहुंचे तो पता चला कई 2 दिन पहले सारे मंदिर खुले हैं |नीमसार में बहुत से स्थान घुमने और दर्शन करने के लिए हैं कुछ स्थान जाने और कुछ अनजाने हुए हैं जहा के बारे में लोग बहुत कम लोग ही जानते हैं | नीमसार के दर्शनीय स्थल जिनके नाम:-

1. चक्र-तीर्थ

2. माँ शीतला मंदिर

3. व्यास गद्दी

4. मनु-शतरूपा आश्रम

5. हनुमान गढ़ी

6. देव देवेश्वर महादेव मंदिर

7. सेतुबंध राम मंदिर

8. त्रिशक्ति धाम मंदिर

9. रूद्रावर्त तीर्थ

10. दधिचि कुण्ड

आदि कई छोत्र बड़े मंदिर हैं |

तो आइये शुरू करते हैं नैमिषारण्य तीर्थ कई यात्रा का विस्तृत वृत्तान्त |

चक्रतीर्थ

नीमसार कई सबसे प्रसिद्द और महत्वपूर्ण जगहों में से एक है चक्र तीर्थ | चक्र तीर्थ के बारे में कहा जाता है कई यही वह स्थान है जहाँ 33 करोड़ देवी-देवताओं ने एक साथ बैठ के यज्ञ किया था | वाराह पुराण के अनुसार यहां भगवान द्वारा निमिष मात्र में दानवों का संहार होने से यह 'नैमिषारण्य' कहलाया। वायु, कूर्म आदि पुराणों के अनुसार भगवान के मनोमय चक्र की नेमि (हाल) यहीं (गिरी) थी, इसलिए यह नैमिषारण्य कहलाया।
यहां एक सरोवर है, जिसका मध्यभाग गोलाकार है और उससे बराबर जल निकलता रहता है। उस मध्य के घेरे के बाहर स्नान करने का घेरा है। इसके किनारे अनेक मंदिर हैं। मुख्य मंदिर भूतनाथ महादेव का है। एक बार अट्ठासी हजार ऋषि-मुनियों ने ब्रह्मा जी से निवेदन कि जगत कल्याण के लिये तपस्या हेतु विश्व में सौम्य और शांन्त भूमि का निर्देश करें। उस समय ब्रह्मा जी ने अपने मन से एक चक्र उत्पन्न करके ऋषियों कहा कि इस चक्र के पीछे चलकर उसका अनुकरण करो, जिस भूमि पर इस चक्र की नेमि (अर्थात मध्य भाग) स्वतः गिर जाये तो समझ लेना कि, पॄथ्वी का मध्य भाग वही है, तथा विश्व की सबसे दिव्य भूमि भी वही है। इस परम पवित्र भूमि के दर्शन विना जीव का जीवन भी कभी सफल नहीं होता।

                                                 प्रययुस्तस्य चक्रस्य यत्र नेमिर्व्यशीर्यत।
तद् वनं तेन विख्यातं नैमिषं मुनिपूजितम्॥


माँ ललिता देवी मंदिर

नीमसार से कुछ दूरी पर ललिता माता का मंदिर स्थित है, यह मंदिर माता के 108 शक्तिपीठों में से एक है | जब राजा दक्ष ने यज्ञ शाला में अहंकार वश भोलेनाथ का अपमान किया तब सती माता ने क्रोधित होकर स्वयं उसी यज्ञ कुण्ड की अग्नि में खुद को भस्म कर दिया था जिससे शिव जी ने क्रोधित होकर माता सती का पार्थिव शरीर कंधे पर उठा के तांडव नृत्य करना प्रारम्भ कर दिया था जिस कारण समस्त विश्व और देव भयभीत हो गये और तब वो ब्रह्मा जी के साथ विष्णु जी क पास सहायता के लिए पहुंचे तब श्री हरी विष्णु ने शिव जी का क्रोध शांत करने के लिए सती जी के शव के 108 टुकड़े कर दिए जो पृथ्वी के अलग-अलग स्थानों पर गिरे | जिस-जिस स्थान पर सती माता के अंग गिरे उस जगह पर माता के शक्ति पीठ उपस्थित हैं | जहाँ माँ ललिता देवी मंदिर स्थित है वहाँ पर माता सतीका मध्य भाग (ह्रदय) गिरा था वहीँ पर यह शक्ति पीठ बना हुआ है |


हनुमान गढ़ी

हनुमान गढ़ी नैमिषारण्य श्री हनुमान के मुख्य मंदिरो में भारत में विशेष है |यहाँ स्थित बालाजी की मुर्ती बलिष्ठ और लाल रंग में है |कहा जाता है नैमिषारण्य वो जगह थी जहा से हनुमान जी ने पाताल लोक से श्री राम और लक्ष्मण को अहिरावन से बचाकर निकाल लाये थे | इस नैमिषारण्य जगह पर इन तीनो ने महान संतो के दर्शन किये और पुनः रावण से युद्ध करने लंका प्रस्थान कर गये | इस मंदिर की मान्यता है कि इस मंदिर में दक्षिण मुखी हनुमान जी हैं। जिस किसी के शनि राहु केतु मंगल ग्रह अरिष्ट होते हैं यहा दर्शन मात्र और हनुमान जी को लाल चोला चढ़ाने से ग्रह शांत हो जाते है और जीवन में सफलता और समृद्धि आती है | यह हनुमान जी का सिद्धि पीठ हैं



विशेष :-👇

चित्रकूट यात्रा के दार्शनिक स्थल, रूट और बजट की जानकारी के लिए पिछले 4 ब्लॉग में विस्तृत रूप से जानकारी दी गयी है जिनके लिंक इस ब्लॉग के अंत में मिलेंगे और यदि आप चित्रकूट की यात्रा के बारे में विडियो के माध्यम से जानना और देखना चाहते हैं तो हमारे YouTube Channel "Unexplored India" के साथ जुड़े | YouTube Channel पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और अगर विडियो पसंद आये तो चैनल को subscribe करें और विडियो को आगे शेयर करें ||

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