चित्रकूट की सम्पूर्ण यात्रा का वृत्तान्त रूट, स्थानों और बजट की जानकारी (2020) भाग -3

 

दुसरे भाग से आगे......

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                                     सती अनुसुइया आश्रम 

रामघाट से लगभग 12 Km, हनुमान धारा से लगभग 15 Km और कामदगिरी पर्वत से लगभग 18 Km की दुरी पर घने जंगलों और बड़े-बड़े पहाड़ों के बीच खुबसूरत रास्तों के बीच से होते हुए मन्दाकिनी नदी के किनारे पर एक बहुत ही आनन्दित करने वाला स्थान है जिसका नाम है, “सती अनुसुइया आश्रम” | अनुसुइया माता महर्षि अत्रि की धर्म-पत्नी एवं दत्तात्रेय भगवान की माता थी, माता अनुसुइया को त्रिदेवों ब्रम्हा, विष्णु, महेश की माता भी कहा जाता है क्यूंकि उन्होंने तीनों को बाल रूप में परिवर्तित करके शिशु रूप में पालना झुलाया था और भोजन भी कराया था तथा माता अनुसुइया ने माता सीता को पति-पत्नी के संबंधों का सार बताया तथा उनको दिव्य वस्त्र व् आभूषण भी प्रदान किये थे | सती अनुसुइया आश्रम से 100 मीटर आगे जाने पर आपको माँ मन्दाकिनी का उद्गम स्थल भी देखने को मिलेगा | बहुत समय पहले जब 54 वर्ष का सुखा पड़ने पर अत्रि मुनि को प्यास लगी तो अनुसुइया जी ने जब हर जगह पानी खोजा और नहीं मिला तब उन्होंने और अत्रि मुनि ने कई वर्षों तक तपस्या करके गंगा जी को प्रसन्न किया और गंगा जी से प्रार्थना की कि आप यहाँ पर आप निवास करें और कभी भी यहाँ पर पानी की कमी न हो तब गंगा जी ने उनके वरदान स्वरुप यहाँ पर अवतार लिया और उनका नाम मन्दाकिनी पड़ा तबसे माँ मन्दाकिनी सदा यहाँ पर एक सामान रूप से बहती हैं और कभी भी माँ मन्दाकिनी का पानी कम नहीं होता है |

सती अनुसुइया आश्रम के बारे में जानने और मंदाकनी नदी के उद्गम के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए निचे दिए लिंक पर क्लिक करें और “Unexplored India पर जाके वहां की विडियो देखें | विडियो पसंद आये तो Like करें, Share करें, Channel को Subscribe करें और bell icon 🔔को दबाना न भूलें ताकि आने वाले वीडियोस की notification पा सकें |

 

गुप्त गोदावरी

रामघाट से 18 km. की दूरी पर स्थित एक रहस्मयी स्थान है गुप्त गोदावरी | विन्ध्य पर्वतमाला में दो गुफाओं में से दो जल धाराएँ फूटती हैं, एक गुफा से एक जल धारा निकल कर नीचे कुण्ड में गिरती है जिसे सीता कुण्ड कहते हैं | दूसरी गुफा कुछ नीचे है, इस गुफा में एक जलधारा प्रवाहित होती है, गुफा संकरी होती हुई बंद होती है और जहाँ से गुफा से बंद होती है वही से पानी आता है और कुछ दूर बहने के बाद एक पीपल के पेड़ के नीचे पहुँच कर गुप्त हो जाता है | गोदावरी नदी एक पहाड़ के अन्दर ही सिमट गयी है, यहाँ से बाहर निकलने पर नदी दिखाई नहीं देती है, इसका उद्गम स्थल भी यहीं है और ये सिमटी भी यहीं है इसलिए इसे गुप्त गोदावरी कहा जाता है | कहा जाता है कि यहाँ माता सीता वनवास के दौरान यहाँ स्नान करती थीं | यह भी माना जाता है कि, श्री राम जब वनवास के समय में यहाँ रुके थे तो माँ गोदावरी या माँ गंगा उनसे गुप्त तरीके से मिलने आयी थी | ये भी एक कारण है इसे गुप्त गोदावरी कहते हैं | गुप्त गोदावरी की प्रथम गुफा में एक स्थान है खटखटा चोर, जिसके बारे में कहा जाता है कि, एक बार सीता जी नहा रही थी तभी मयंक नामक दैत्य ने उनके कपड़े चुरा कर भागने की कोशिश की माता सीता ने उसको पकड़ कर अपना एक बाल तोड़ के उसमे बांध के यहाँ लटका दिया और वो अज यहाँ एक बड़ी सी पत्थर की शिला के रूप में लटक रहा है बिना किसी सहारे के | तो, है न गुप्त गोदावरी अद्भुत और रहस्यों से भरी गुफा जिसके बारे में जितना जानना चाहो उतना ही उलझते जाओ शायद यही चमत्कार है चित्रकूट की धरती का कि यहाँ पर आके लोग अचंभित होते हैं |

अगर अप गुप्त गोदावरी गुफा की विडियो देखना चाहते है और उसकी अधिक जानकारी चाहते हैं तो नीचे "Unexplored India" का लिंक दिया गया है उसपे क्लिक करे विडियो को देखें जिससे आपको यहाँ आने में बहुत सहायता होगी |

👉 Click on the Link :- Journey To Chitrakoot PArt-4 (Gupt Godavari 

 


                     

                                                                       स्फटिक शिला


स्फटिक शिला रामघाट से 12 Km. दूर और गुप्त गोदावरी से 12 Km. पहले पड़ता है | यहाँ पर मन्दाकिनी नदी के किनारे पर बनी हुई शिला है जिस पर बैठ कर श्री राम चन्द्र जी माता सीता जी का पुष्प श्रंगार कर रहे थे तभी देवराज इंद्र का पुत्र जयंत ने सोचा कई सब जो खुद स्त्री का श्रंगार अपने हाथों से कर रहा है वह जगत पालनकर्ता भगवान विष्णु का अवतार नहीं हो सकता | इसलिए वह श्री राम की परीक्षा लेने के इरादे से कौवे के रूप में वहां आया और माता सीता के पैर में चोंच मर के भाग गया, तब श्री राम ने वह धरती पर पड़े एक तिनके का बाण बना कर उस चलाया और जब वह बाण उसको लगा तो अपना जीवन बचाने के लिए वाह तीनों लोकों में गया लेकिन कोई उसकी सहायता नहीं कर पाया तब उसको समझ में आया की श्री राम साक्षात् श्री हरी विष्णु के अवतार हैं और वह वापिस श्री राम के पास गया और उन्होंने उनको क्षमा दान दिया लेकिन बाण उसकी आँख में लगा था जिस कारण वह एक आंख से अँधा हो चुका था | कहा जाता है तभी से कौवा आज तक एक आंख से अँधा ही है और उसको सिर्फ एक आंख से ही दिखता है |

 

राम दर्शन

राम दर्शन की दूरी रामघाट से 3 km. है | यह एक बहुत ही अच्छा मंदिर या कह ले कि यह एक संग्रहालय (Museum) है, जहाँ पर श्री राम के जीवन काल कई समस्त घटनाओं का दीवारों पर कृत्रिम चित्रण किया गया है और चित्रण ऐसा है कि, उसको देख के ऐसा लगेगा कि आप जो देख रहें हैं, वह आपके सामने साक्षात चल रहा है | इस संग्रहालय में विश्व के कई देशों में रामायण की रुपान्तरण की पुस्तकें रखी हुई हैं और उनकी मूर्तियाँ भी रखी हुई हैं | राम दर्शन का एंट्री फीस 20 Rs. है और यहाँ सुबह 9 बजे से शाम 4:45 बजे तक खुलता है |

 

जानकी कुण्ड

राम दर्शन से 500 mt. पहले जानकी कुण्ड पड़ता है यह स्थान ऐतिहासिक द्रष्टि से काफी महत्वपूर्ण है क्यूंकि कहा जाता है कि, इस  स्थान पर माता सीता स्नान करने आया करती थी और उनके यहाँ स्नान करने के कारण ही इसका नाम जानकी कुण्ड पड़ा | जानकी कुण्ड में नहाने के लिये कई घाट बने हुए हैं जिनके किनारे पर बैठ कर लोग स्नान करते हैं | मन्दाकिनी नदी के किनारे पर बने घाट में नहाने के बाद शाम के समय यहाँ पर नाव से घुमने का अलग ही आनंद है नावं आपको जानकी कुण्ड से होते हुए रामघाट तक घुमाने के लिए ले जाते हैं और यहाँ से जाने के बाद आप रामघाट पर माँ मन्दाकिनी की आरती और उसके बाद लेज़र लाइट शो का भी आनंद लेना न भूलें |

माँ मन्दाकिनी आरती या लेज़र शो की विडियो को देखने के लिए नीचे "Unexplored India" के लिंक पर क्लिक करें और चित्रकूट यात्रा का भाग-5 और भाग -6 अवश्य देखें | अगर विडियो अच्छा लगे तो like करें और channel को सब्सक्राइब करें|

👉 Click on the Link :- चित्रकूट यात्रा भाग - 5 (माँ मन्दाकिनी सम्पूर्ण आरती) ||

 


 

👉 Click on the Link :-|| चित्रकूट यात्रा-6 || पानी पर रामायण का मनोहारी छायांकन ||

 




 

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